AMAN AJ

Add To collaction

आई नोट , भाग 36

   

    अध्याय-6
    द नाइट
    भाग-5
    
    ★★★
     
    आशीष ने मानवी को धीरे से पकड़ा और उसे डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया। डाइनिंग टेबल पर लेटाने के बाद उसने अपने दाएं हाथ की उंगलियां हल्के से उसके चेहरे पर फेरी। उसके गुलाबी होठों को अपने अंगूठे से छुआ। फिर उसी हाथ को धीरे-धीरे नीचे लाते हुए उसकी शर्ट के बटन तक ले आया। उसने हाथ को तिरछा किया जिससे उसकी शर्ट के मैग्नेटिक बटन एक के बाद एक खुलते गए। मानवी इन सब में एक अलग ही दुनिया में जा चुकी थी। एक ऐसी दुनिया में जहां उसे किसी भी चीज का होशो हवास नहीं था।
    
    आशीष ने कहा “तुम्हारे पति ने तुम्हें एक दिमागी कैदी बना दिया है, एक ऐसा कैदी जो कमरे से बाहर निकलने के बाद भी अपने दिमाग में कैद रहता है। तुम शायद इस बारे में नहीं जानती, मगर जिसे इस बारे में पता है वह जानता है दिमागी कैदी क्या होता है। दिमागी कैदी का मतलब अपनी भावनाओं को अपने अंदर तक ही समेट कर रखना। अपनी ही काल्पनिक दुनिया में रहना और उससे बाहर ना निकलना।”
    
    उसके हाथ की उंगलियां मानवी के पेट पर घूम रही थी। जहां मानवी ने हल्का सा बल लेते हुए उसे ऊपर कर दिया था।
    
    “मुझे तो लगता है तुम्हारा पति यह सब जानबूझकर कर रहा था। वह सच्चाई को जानता था कि तुम उसके लायक नहीं हो। तुम बस एक गलती से उसे मिली हो। अगर उसने तुम्हें आजाद छोड़ा, या तुम्हें इस कमरे की कैद से निकलकर बाहर की जिंदगी जीने दी, तो तुम्हें यह पता चल जाएगा, दुनिया में तुम्हारे पति से भी बेहतर इंसान हैं।”
    
    उसने अपने हाथों की उंगलियों को और नीचे कर लिया।
    
    “ऐसे इंसान जो तुम्हें तुम्हारे पति से ज्यादा खुश रख सकते हैं। ऐसे इंसान जिनकी शोहरत इतनी है कि वह कुछ भी खरीदने की हिम्मत रखते हैं। तुम्हारे पति को सब पता था। सब...”
    
    मानवी ने एक हल्की सिसकी भरी।
    
    “अक्सर जो पति अपनी पत्नी को लेकर इस तरह से उसे अपने कंफर्ट जोन में रखते हैं, उन्हें पागल पति का दर्जा दिया जाता है। एक ऐसे पागल पति का जो पत्नी से प्यार नहीं करता, बल्कि प्यार से अलग वह करता है जिसे लोग पागलपन कहते हैं। लोगों को लगता है पागलपन प्यार की दूसरी हद होती है, मगर नहीं, पागलपन प्यार से भी अलग एक दूसरी हद होती है, जिसका मतलब होता है अपनी पत्नी को लेकर अनकंफरटेबल फिल करना।”
    
    उसने दोबारा हाथों को ऊपर की तरफ करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उसने अपने जेब से लाइटर निकाला और मोमबत्ती जलाई। वह हाथों को ऊपर करते हुए वापस उसे मानवी के चेहरे पर फिराने लगा। 
    
    “तुम्हें पता है, जब कोई लड़की ऐसे हालातों में फस जाए तो उसे क्या करना चाहिए।”
    
    आशीष ने यह पूछा तो मानवी ने हल्के से ना में सर हिला दिया। उसका कहना था उसे नहीं पता।
    
    आशीष ने अपने चेहरे पर किसी भी तरह का भाव नहीं दिखाया। उसने मोमबत्ती उठाई और उसे हवा में ऊपर की तरफ कर तिरछा कर दिया। मोमबत्ती को तिरछा करने के बाद जैसे ही उसकी गरम बूंदे मानवी पर गिरी उसने अपनी मूठीया कस ली। वह अपने पैरों को आपस में रगड़ने लगी। शरीर पूरी तरह से तड़पती हुई मछली के एहसास में जाने लगा था।
    
    आशीष मोमबत्ती को दाएं बाएं करने लगा। इससे मोमबत्ती की गरम बूंदे उसके चेहरे के नीचे वाले हिस्से से लेकर उसके पेट तक गिरने लगी‌।
    
    आशीष बोला “इस स्थिति में फंसी लड़की को अपने लिए वह करना चाहिए जो उसे अपने लिए सही लगे। एक ऐसा निर्णय जिसमें वह अपनी दिमागी कैद वाली जिंदगी को ना जी कर, एक ऐसी जिंदगी को जिए जो बाहरी दुनिया में हो, और पूरी तरह से आजाद हो। एक ऐसी दुनिया में जहां हर तरह की खुशियां हो। ऐशो आराम हो। वहां पाबंदीया ना हो। ऐसी दुनिया जिसमें कोई शख्स तुम्हें ऐसे रखता हो, जैसा तुम्हारा पति बिल्कुल भी नहीं रखता।”
    
    उसने मोमबती वापस नीचे रख दी। मोमबत्ती को नीचे रखने के बाद उसने अपनी अंगुलियों को फिर से मानवी पर फिराना शुरू कर दिया।
    
    वह बोला “अगर तुम एक समझदार लड़की की तरह फैसला लो, तो तुम्हें सबसे पहले अपने पति से अलग होने का कदम उठाना चाहिए, क्योंकि यह बात तुम भी जानती हो, और मैं भी, तुम्हारा पति तुम्हारे लिए बिल्कुल भी सही चोइस नहीं है। वह, उसने बस तुम्हें एक घर में केद रखने के लिए ही रखा है। उसने तुम्हारी जिंदगी को घर की चार दीवारों के इर्द-गिर्द ही समेट दिया है।”
    
    आशीष ने अपने चेहरे को मानवी के चेहरे के पास किया और उसके होठों को चूम लिया। मानवी की मुठिया फिर से कस गई। वह अपने पैरों को फिर से आपस में रगड़ने लगी। आशीष ने चुमना छोड़ा और फुसफुसाती हुई आवाज में कहा “अगर तुम चाहो तो, अपने पति को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ मेरी हो सकती हो... तुम्हारे लिए मेरे दिल‌ के दरवाजे हमेशा खुले हैं।” उसने कहा और अपने दोनों हाथों से मानवी के हाथों को पकड़कर फिर से उसे चूमने लगा। 
    
    इसके बाद वह बस उसे चूमता ही गया। ऊपर से लेकर नीचे तक और मानवी भी नशे में डूबी हर एक एहसास को अपने अंदर समेटेती गई।
   
    ★★★
     
    तकरीबन 6:00 बजे मानवी की आंख खुली तो उसने खुद को बिस्तर पर पाया। उसका सर बुरी तरह से दर्द कर रहा था। वह उठी और सर को मसलते हुए बीती रात के दृश्यों को याद करने लगी। जैसे ही उसे रात के सारे दृश्य याद आए वह पूरी तरह से घबरा उठी। उसने अपने आसपास देखा। वहां कोई भी नहीं था। आशीष रात को ही जा चुका था। दृश्यों के दोबारा से आंखों के सामने आने के बाद उसका चेहरा नीला पड़ गया। उसने खुद की हालत देखी। पूरा शरीर तेल से सना हुआ था। बिस्तर तक में तेल‌ के निशान पड़ गए थे। कपड़े इस तरह से थे कि वह आधे पहने हुए लग रहे थे और आधे उतारे हुए।
    
    “ओह...नो...” वह खुद से बोली “यह मैंने क्या कर दिया... आशीष... ओह...नहीं.... मैंने.... मैंने खुद को रोका क्यों नहीं... मैंने उसे रोका क्यों नहीं...” 
    
    वह उठी और अपनी शर्ट के सारे बटन बंद किए। बटन बंद करने के बाद उसने तेजी से कंबल समेटा और बेड की चादर खींचकर उसे जल्दी से जाकर वॉशिंग मशीन में डाल दिया। 
    
     चद्दर वॉशिंग मशीन में डालते हुए वह बोली “अगर उसे पता लग गया तो वह मुझे जान से मार देगा, यह, आखिर मैं ऐसा कर भी कैसे सकती हूं।”
  
    उसने बालों में हाथ फेरते हुए नीचे की तरफ देखा। “ओह...” वह तुरंत डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ी। वहां उसका पजामा एक कुर्सी पर टंगा हुआ था। उसने जल्दी से पजामा पहना और डाइनिंग टेबल की हालत देखी। डाइनिंग टेबल पर जली हुई मोमबती थी और ढेर सारा तेल गिरा पड़ा था।
    
    वह किचन में भागी और वहां से बर्तन साफ करने वाला क्लीनर ला कर टेबल को साफ करने लगी। वह अभी टेबल ही साफ कर रही थी कि अचानक दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजे की घंटी बजते ही उसकी जान उसकी हलक में आ गई। उसने टेबल की तरफ देखा जो अभी ठीक से साफ भी नहीं हुआ था। उसकी चिकनाई यु की यु थी। उसने घबराए हुए अंदाज में वही से कहा “कोन...”
    
    वो यह बोली तो बाहर से आवाज आई “कोन...क्या... मैं हूं तुम्हारा पति.... दरवाजा खोलो मुझे नोटबुक लेनी है...”
    
    “ओह...शीट...” मानवी इस बात को लेकर पुरी तरह‌‌ से सदमे जा फंसी। 
    
    उसने डायनिंग टेबल साफ करना छोड़ा और तुरंत अलमारी की तरफ जा कर वहां से बेड की चादर निकालने लगी। इतने में दोबारा दरवाजे की घंटी बजी। शख्स बोला “दरवाजा खोला मानवी मुझे देरी हो रही है।”
    
    “बस आई...” 
    
    मानवी ने जवाब दिया और जल्दी से आकर बेड की चादर को डाइनिंग टेबल के ऊपर बिछा दिया। चद्दर को डाइनिंग टेबल के ऊपर बिछाने के बाद उसने अपने बाल ठीक किए। चेहरे पर हाथ फेरा और शर्ट के सारे बटन बंद कर लिए। वो भी ऊपर गले तक ताकि अंदर का लगा हुआ ऑयल ना दिखे। 
    
    सब करने के बाद वह दरवाजे की तरफ बढ़ी, मगर इस दौरान उसने उसने मोमबत्ती की तरफ ध्यान नहीं दिया जो डाइनिंग टेबल से नीचे गिर गई थी।
    
    मानवी ने दरवाजा खोला और झुके हुए चेहरे के साथ नीचे फर्श की तरफ देखने लगी। शख्स अंदर आया और अंदर आते हुए पुछा “दरवाजा खोलने में इतनी देर कैसे लगी...”
    
    उसने मानवी की तरफ नहीं देखा था, वह गुस्से में था और जल्दी में भी, जिसकी वजह से वह दरवाजा खुलते ही बेडरूम की तरफ जाने लगा था।
    
    मानवी ने हल्के कांपते हुए स्वर में जवाब “वो...वो... मैं आपसे गुस्सा थी... एक बार सोचा दरवाजा ना...खोलु... मगर फिर लगा कुछ जरूरी होगा...” वह बड़ी मुश्किल से थूक गिटकते हुए अपने शब्द कह रही थी।
     
    शख्स ने अंदर जाकर बेड की तरफ देखा। बेड पर चादर नहीं थी। उसने नजरअंदाज करने वाले अंदाज में सिर हिलाया और अलमारी की तरफ चल पड़ा। अक्सर घर में बेड की चादर की धुलाई होती रहती थी, जिस वजह से उसके लिए बेड पर चद्दर का ना होना एक आम बात थी। 
    
    उसने अलमारी में कपड़ों के पीछे से अपनी नोटबुक निकाली और नोटबुक निकालने के बाद बाहर की तरफ आ गया। बाहर मानवी अभी भी गर्दन झुकाए दरवाजे के पास खड़ी थी। 
    
    शख्स ने एक नजर उसकी तरफ देखा फिर अपना सर घुमाते हुए बोला “नाश्ते में कुछ बनाया है क्या...”
    
    “नाश्ता...” मानवी अचानक जोर से बोली जो उसकी घबराहट का असर था।
    
    शख्स उसके बोलते ही उसकी तरफ पलट गया जिसके ठीक बात मानवी नीचे की तरफ देखने लगी “हां...” शख्स बोला “इसमें हैरान होने वाली कौन सी बात है।”
    
    “वो...” मानवी ने जवाब दिया “तुम दो दिनों से घर पर नहीं आए थे तो मैंने सुबह जल्दी उठकर नाश्ता बनाना छोड़ दिया।”
    
    “ओह.... ग्रेट...” शख्स ने अपने दोनों हाथ हवा में फैलाए “अब एक बड़ी नौकरी करने वाली मिस मानवी के शौंक इतने ज्यादा हो गए हैं कि उसने सुबह उठकर नाश्ता बनाना ही छोड़ दिया। गुड। काफी तरक्की में हो।” उसने अपना सिर हिलाया और कहा “ठिक है....ज्युस तो होगा ना किचन में... वो ही पिला दो।”
    
    मानवी ने सिर हिलाया और तेजी से किचन की तरफ चली गई। वहीं शख्स ने भी मानवी को जाते हुए देखा और जाकर सोफे पर बैठ गया। सोफे पर बैठते ही उसने डाइनिंग टेबल की तरफ देखा जिसके ऊपर बेड की चादर पड़ी थी। चददर देखते ही उसने मानवी से पूछा “यह डाइनिंग टेबल पर बेड की चादर क्या कर रही है...?”
    
    मानवी फ्रिज से जूस वाली बोतल निकाल रही थी तो उसका हाथ कांपने लगा। हाथ के साथ-साथ उसके शरीर में भी कपंकपी छूट रही थी। “वो...वो...” उसे ठीक से सुझ नहीं रहा था वह क्या जवाब दें।
    
    इधर मानवी को जवाब नहीं सूझ रहा था, उधर शख्स की नजरें डाइनिंग टेबल के नीचे गई तो उसे जली हुई मोमबत्ती भी देख ली। 
    
    शख्स ने चद्दर वाले सवाल के बाद फिर पूछ डाला “और यहां एक मोमबत्ती भी पड़ी है.... वो क्या कर रही है..”
    
    मानवी वो पूरी तरह से फंस गई थी।
    
    ★★★
    
    
    
    
       
    
    
   

   1
0 Comments